नीरज दइया / परिचय
लेखकीय नाम : नीरज दइया
नाम : डॉ एन.के. दइया
जन्म : 22 सितम्बर, 1968
साहित्यिक वातावरण में पला बढ़ा और आरंभ में राजस्थानी में ही लिखना स्वीकारा किया, लेखन में भाषा नहीं वरन लेखन ही महत्वपूर्ण होता है । एम. ए. हिंदी और राजस्थानी साहित्य में करने के पश्चात “निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध” विषय पर शोध कार्य किया ।
साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के लिए “ग-गीत” (काव्य संग्रह कवि मोहन आलोक) का राजस्थानी से हिंदी अनुवाद किया जो अकादेमी द्वारा २००४ में छपा ।
राजस्थानी में मौलिक कविता संग्रह के रूप में ‘साख’ तथा ‘देसूंटो’ कविता-संग्रह, 'आलोचना रै आंगणै’, लघुकथा संग्रह- ’भोर सूं आथण तांईं’ एवं "जादू रो पेन" बाल-कथाओं की पुस्तकें प्रकाशित हैं ।
भारतीय 24 भाषाओं के कवियों की कविताओं का अनुवाद "सबदनाद", निर्मल वर्मा के कथा संग्रह "कव्वै और काला पानी", अमृता प्रीतम के कविता संग्रह "कागद ते कनवास" और भोलाभाई पटेल के गुजराती यात्रा-संस्मरण की पुस्तकों के राजस्थानी अनुवाद किए, जो महत्त्वपूर्ण माने गए हैं ।
"मोहन आलोक री कहणियां’ और ’कन्हैयालाल भाटी री कहाणिया’ पुस्तकों के संचयन और संपादन।
अनेक सग्रहों में सहभागी रचनाकार के रूप में प्रकाशित और राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी, बीकानेर की मासिक पत्रिका ‘जागती जोत’ का संपादन भी किया ।
राजस्थानी कविता के लिए पीथळ पुरस्कार और अनुवाद के लिए राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा अनुवाद पुरस्कार के अतिरिक्त कई मान-सम्मान और पुरस्कार भी मिले हैं ।
हिंदी कविताओं का प्रथम संग्रह ‘उचटी हुई नींद’ प्रकाशनाधीन है ।
वर्तमान में : केंदीय विद्यालय, क्रमांक-1, बीकानेर में हिंदी पी.जी.टी. के पद पर सेवारत।
संपर्क : डॉ. नीरज दइया,
सी- 107, वल्ल्भ गार्डन,
बीकानेर- 334003 (राजस्थान)
नाम : डॉ एन.के. दइया
जन्म : 22 सितम्बर, 1968
साहित्यिक वातावरण में पला बढ़ा और आरंभ में राजस्थानी में ही लिखना स्वीकारा किया, लेखन में भाषा नहीं वरन लेखन ही महत्वपूर्ण होता है । एम. ए. हिंदी और राजस्थानी साहित्य में करने के पश्चात “निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध” विषय पर शोध कार्य किया ।
साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के लिए “ग-गीत” (काव्य संग्रह कवि मोहन आलोक) का राजस्थानी से हिंदी अनुवाद किया जो अकादेमी द्वारा २००४ में छपा ।
राजस्थानी में मौलिक कविता संग्रह के रूप में ‘साख’ तथा ‘देसूंटो’ कविता-संग्रह, 'आलोचना रै आंगणै’, लघुकथा संग्रह- ’भोर सूं आथण तांईं’ एवं "जादू रो पेन" बाल-कथाओं की पुस्तकें प्रकाशित हैं ।
भारतीय 24 भाषाओं के कवियों की कविताओं का अनुवाद "सबदनाद", निर्मल वर्मा के कथा संग्रह "कव्वै और काला पानी", अमृता प्रीतम के कविता संग्रह "कागद ते कनवास" और भोलाभाई पटेल के गुजराती यात्रा-संस्मरण की पुस्तकों के राजस्थानी अनुवाद किए, जो महत्त्वपूर्ण माने गए हैं ।
"मोहन आलोक री कहणियां’ और ’कन्हैयालाल भाटी री कहाणिया’ पुस्तकों के संचयन और संपादन।
अनेक सग्रहों में सहभागी रचनाकार के रूप में प्रकाशित और राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी, बीकानेर की मासिक पत्रिका ‘जागती जोत’ का संपादन भी किया ।
राजस्थानी कविता के लिए पीथळ पुरस्कार और अनुवाद के लिए राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा अनुवाद पुरस्कार के अतिरिक्त कई मान-सम्मान और पुरस्कार भी मिले हैं ।
हिंदी कविताओं का प्रथम संग्रह ‘उचटी हुई नींद’ प्रकाशनाधीन है ।
वर्तमान में : केंदीय विद्यालय, क्रमांक-1, बीकानेर में हिंदी पी.जी.टी. के पद पर सेवारत।
संपर्क : डॉ. नीरज दइया,
सी- 107, वल्ल्भ गार्डन,
बीकानेर- 334003 (राजस्थान)